आज
फिर से गुड्डू परेशान
था | उसकी चिर परिचित आँखे मानो अपने आप से शिकायत
कर रही हो |
मैं दूर से समझने की
कोशिश कर रहा था
| आखिर क्या हैं जो उसे परेशान
किये जा रही हैं|
आज
उसकी आँखे कुछ सी
थी कुछ नम, आज फिर उसको
तकलीफ हुई हैं
| लेकिन इस बार माजरा कुछ
और हैं | इस बार शायद
उसे तकलीफ हैं अपने से |
मुझसे
रहा न गया और
मैंने पूछ ही लिया, क्या
बात हैं क्यू परेशान हो | बजाय जवाब देने के उसने उलट
कर पुछा |
अच्छा
एक बात बताओ तुमको अगर सिचुएशन दिया जाय, जिसमे तुम सिर्फ या तो अच्छे बेटे
बन सकते हो या अच्छे
बाप, फिर तुम क्या करोगे ?
मैंने
बहुत सोच कर बताया की
मैं तो अच्छा बाप
बनना पसंद करूंगा |
फिर
उसने बताया की आज उसने
उल्टा किया हैं, उसने अपने तीन साल के बच्चे
किया वादा तोड़ दिया, ताकि वो एक अच्छा
बेटा बन सके, अब
उसका तीन साल का बच्चा पूछ
रहा हैं की पापा आपने
वादा क्यू तोडा तो मेरे पास
कोई जबाब नहीं हैं |
मैं
उसके तकलीफ का कारण समझ
गया था, मैंने ज्यादा पुछा नहीं |
मेरे
मन में अचानक से सारी याद
ताजा हो गयी, उसने
अपने बच्चे के पहले जन्मदिन
पर भी ऐसा ही
किया था |
मैं
रिश्तो के जाल में
उलझता जा रहा था
, मैं समझ नहीं पा रहा था
की आखिर शादी से पहले के
रिश्ते नए रिश्तो की
अहमियत क्यू नहीं समझते, हमेशा ऐसा परिश्थिति पैदा क्यू करते हैं जिससे या तो ये
या वो वाली नोबत
आती हैं | एक लड़के के
साथ हमेशा गलत ही क्यू होता
हैं उसको हर रिश्तो को
सही से निभाने का
मौका मिलना चाहिए |
मुझे
उसकी ही एक घटना
याद आ गयी जिसमे
ससुराल वालो के उसके घर
पर पहली बार आने पर किया गया
कोई प्रोग्राम उसने कैंसिल किया था |
जिंदगी
में मैक्सिमम पॉसिबिलिटी के लिए जरूरी
हैं की दूसरे तरफ
की बातो को समझने की
कोशिश की जाय |
मुझे
नहीं समझ आ रहा था
बेटे से लोग दुश्मनी
क्यू निकलते हैं , उनको क्यू ये समझ नहीं
आता दोनों में से एक चुनने
में उनका अपना ही मरता हैं
|
मुझे
अक्सर ये शिकायत रहती
हैं उससे वो बोल क्यू
नहीं देता ये मुझसे हो
न पायेगा ||
मुझे
समझ आ रहा था
लोग बेटे को टेस्ट करते
रहना चाहते हैं कही बदल तो नहीं गया,
बदल जाने पर शिकायत करते
हैं, बागवान मूवी के अमिताभ के
" टूटे फूटे बर्तन " के तरह |
यही
रिश्तो की कसमकश हैं
ऐसा सोच मैं सिगरेट जलाने लगा था |