Thursday, 15 December 2011

अथाह समुन्दर !!

उफ्फ्फ्फ़ !! आज फिर से वही सपना... पता नहीं मुझे एक ही सपना बार-बार क्यों आता हैं... अब तो उस लड़के से लगाब सा हो गया हैं..बिलकुल काला सा तो हैं....देखने मे बिलकुल साधारण...शायद उसके जिद से लगाब हो गया हैं....उसे जयादा तैरना नहीं आता हैं लेकिन वो समुन्दर में मेरे साथ तैरने को चल दिया हैं.....तैरते-तैरते दूर तक आ गया हैं.... अब तो घर वाले सिर्फ उसके लिए दुआ ही मांग सकते हैं...दूर आने के बाद डर उसके चहरे पर साफ़ दिख रही हैं....ऊची-ऊची लहरे उसे अन्दर तक झकजोर रही हैं... उसके नाक से खून भी आने को हैं....लेकिन ये क्या वो तो हस रहा हैं....शायद उसे दर्द नहीं होता या शायद छुपा रहा हैं...उसे डर हैं की सब लोग उस पर हसने न लगे की उसे तैरना नहीं आता.....हाँ शायद यही बात हैं....मुझे लगता हैं की उसे हमेशा से सिखाया गया हैं हमेशा लड़ते रहो....मुझे डर हैं की यह सीख  उसकी जान न ले ले... उसकी आँखे बीच समंदर में सुखी जमीन ढूंढ़ रही हैं.... मैं उसकी हालत देख कर मुस्कुरा रहा हूँ... डर भी रहा हूँ....गुस्सा भी आ रहा हैं....कभी-कभी उसपे प्यार भी आ रहा हैं...ये सब सिर्फ अपने को सिद्ध करने के लिए....ये क्या उसने मदद से भी इनकार कर दिया.....पता नहीं अपने को क्या समझता हैं...किनारे पर प्यारी सी लड़की भी उसका इन्तजार कर रही हैं... लेकिन वापस जाने से इनकार....शायद समंदर में तरते रहना ही उसकी नियति हैं....मुझे नहीं लगता की उसे कोई इनाम की आस हैं.....पता नहीं वो क्या ढून्ढ रहा हैं...शायद अपने होने की वजह..शायद !! पता नहीं.....हमेशा कुछ उधेरबुन चलती रहती हैं उसकी आखो में....!! 

तभी अचानक नींद खुल गयी....ग्लास भर पानी पी कर मैं उसके बारे मे सोचने लगा की मुझे ही ये सपना क्यों आता हैं....!!

Sunday, 11 December 2011

कुछ अन सुलझे धागे

कहने को हैं बहुत कुछ इस लिए चुप रहना उचित हैं....कभी कभी छोटे लड़के को देखता हूँ तो सोचता हूँ... कुछ दिनों के बाद समाज इससे हर चीज की कीमत मांगेगा...माँ, बाप, भाई, बहन, प्रय्शी,बीबी,बच्चे  नोकरी, सब को कुछ न कुछ चाहिए ...फिर इस लड़के को वादा नहीं निभाने का दर्द होगा...क्योकि ये छोटा लड़का सब काम एक साथ कैसे कर सकता हैं...वो कभी इतना बड़ा कैसे हो सकता हैं... फिर ये लड़का झूठा हसना सीख जायेगा....और जिन्दजी भर हँसता रहेगा...दुसरो के लिए....!!