Sunday 11 December 2011

कुछ अन सुलझे धागे

कहने को हैं बहुत कुछ इस लिए चुप रहना उचित हैं....कभी कभी छोटे लड़के को देखता हूँ तो सोचता हूँ... कुछ दिनों के बाद समाज इससे हर चीज की कीमत मांगेगा...माँ, बाप, भाई, बहन, प्रय्शी,बीबी,बच्चे  नोकरी, सब को कुछ न कुछ चाहिए ...फिर इस लड़के को वादा नहीं निभाने का दर्द होगा...क्योकि ये छोटा लड़का सब काम एक साथ कैसे कर सकता हैं...वो कभी इतना बड़ा कैसे हो सकता हैं... फिर ये लड़का झूठा हसना सीख जायेगा....और जिन्दजी भर हँसता रहेगा...दुसरो के लिए....!!

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