Monday 2 January 2012

मेरे बचपन का दोस्त.... गुड्डू !!

आज बहुत दिनों के बाद वो मिला था ....उसकी देखने की आदत बड़ी अजीब हैं... चीजो को निर्विकार भाव से देखना उसे अच्छा लगता हैं, बचपन से..आज भी नहीं बदला, मुझे उसका घुरना  बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था.वो आँखे बहुत बोलती हैं ....लेकिन  मैं ही तो था जो उसे जानता था !!
मुझे याद हैं जब मैं और वो जब मेला देखने निकले थे तब वो कितना खुश था..उसकी हसी छुपाये नहीं छुपती थी... एक अजीब सा जूनून था उसके अन्दर ..दुनिया को मुट्ठी में मानता था......अब लोग उसे लायक जो समझने लगे थे...उसके जेब में पैसे थे...जयादा नहीं...लेकिन  उसके हिसाब से बहुत...मैं उसकी हालत देख कर मुस्कुरा देता था...लकिन मैं कुछ बोलता नही था..मुझे उसके आत्मविश्वास को देख कर अच्छा लगता था !!
हम लोग साथ में मेले का आनंद उठा रहे थे... लोगो से मिलना, तरह तरह की चीजे देखना उसे बहुत पसंद था..!!
तभी अचानक उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी !! मेले में लड़की....!! शायद उदास हैं या रो रही हैं....!! क्या हुआ उसे...!! क्यू रो रही हैं.... एक कौतुहल !! वो उसके पास चला गया... मैंने रोका भी... छोड़ न यार... होगा कोई कारण अपने को क्या !! लेकिन  नहीं उसे अपने पर बहुत आत्मविश्वास था न... मेरी बात बिलकुल भी नहीं सुनी !! मैं दूर से देख रहा था उस लड़की को.... ढेर सारे चादर में उसने  अपने को लपेट रखा  था ..मुह भी ढक रखा था अपना !! कुछ दीखता नहीं था !!

थोड़ी देर में वो कुछ उलझा हुआ सा मेरे पास आया....मैंने अनमने ढंग से पूछा क्या हुआ...उसने बोला वो तो अपने साथ स्कूल वाली लड़की हैं.... अरे... वो जो  पढने  में बहुत अच्छी थी..!! हाँ सारे लड़के उससे जलते थे...सबसे तेज थी लडकियों में...!! अरे नाम याद आया...मैं समझ गया ये म....ममता की बात कर रहा हैं ...हम्म!!मुझे याद आ गयी स्कूल की बाते..... मैं भी उसे जानता था... थोडा उससे डरता भी था..देखने में साधारण थी....लेकिन उसके पीछे पीछे चलने में मुझे भी  बड़ा मजा आता था....मैं साईकिल से उसके  पीछे चलता रहता था.....वो पैदल, मैं साईकिल से .....कितनी बार इसके लिए उस लड़की ने  मुझे गाली भी दी थी...!!

मैंने उसे  जोर डाटते हुए पूछा .......हाँ तो !!!! सबका ठेका लिया हैं तुमने... वो उदास हैं तो तू  क्या कर लेगा !!
वो बोला..चल न यार देखते हैं....लोगो के चेहरे पर मुस्कराहट लाने का नाम ही तो जिन्दगी हैं...पता नहीं  कैसे मैं भी उसके पीछे चल दिया...शायद कुछ था उसमे ख़ास !!
मैं थोड़ी दुरी बना कर उसके साथ चल रहा था....ये क्या.... लड़की को पता नहीं उसने क्या कहा लड़की उसके साथ चल दी...!!
वो बता रही थी...उसे  जिन्दगी को अपने दम पर जीना हैं..!!मैं मुस्कुरा रहा था... सोच रहा था...ये लड़की जिसने अपने को कभी लड़के से कम नहीं समझा...उसके साथ तो होना ही था... लोग अक्सर मेहनती लडकियों के साथ  ऐसा ही करते हैं... उसे झूठा दिलासा दे देते हैं...लड़का होने का...फिर उसकी कमाई खाते रहते हैं...फिर जब लड़की को अपने लड़की होने का अहसास होता हैं तब तक देर हो चुकी होती हैं!!
गुड्डू... जो अबतक  उसकी  सारी बातें  सुनने में मशगुल  था... मैंने उसे अकेले में ले जा कर समझाया...यार समझ!! ये तेरे बस का रोग नहीं हैं...तुझे तो लडकियों से बात करनी भी नहीं आती...तू नहीं कर पायेगा...लेकिन वो माना नहीं...!!
फिर अचानक  किसी बात पर बात पर उसका झगडा !! बातचीत बंद !! सब अपने अपने रास्ते !! मैं समझ गया इसका असली कारण......गुड्डू के अन्दर की वो ताकत तो नहीं की वो मेले में यु उस लड़की के साथ चलता रहे..!! मैं जानता था उसको.... अन्दर से बहुत कमजोर था वो !!

एक लम्बा अंतराल!!

मैं भी मेले के कुछ और रंग देखने में मशगूल हो गया  ..फिर एक दिन अचानक मेरी नजर ममता पर पड़ी...वो लड़की जो जिन्दगी को अपने दम जीना चाहती थी उसने इसे सिद्ध कर दिया था ...अब तो उसे एक प्यारा सा साथी भी मिल गया था...कद और हस्सियत में गुड्डू से बड़ा...!!

..मैंने ममता  बारे में गुड्डू  को बताया...अब तक उसका गुस्सा ठंडा हो गया था ...शायद उसे देखना चाहता था...मैंने ममता को उसके मन की बात  बताई  ...वो तैयार हो गयी दूर से उसे अपनी सकल दिखाने  को...कुछ शर्तो के साथ..फिर एक दिन  ममता ने दूर से उसे अपना चेहरा दिखा ही दिया ...मैं तब से मौन ये सब देख रहा था...ये क्या हो रहा हैं.... गुड्डू तो  आजाद हो रहा था.... वो दर्द से, जो किसी को  वादा कर के किसी के दर्द को कम नहीं कर पाने से होता हैं  ...लेकिन  ममता क्यू  अपना चेहरा दिखाने को तैयार हो गयी..... शायद थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन गुड्डू ने उसका दर्द बाटा इस लिए....या पता नहीं !!

मेले में घर वाले गुड्डू को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते आ गए ...फिर एक तेज डाट...उसकी जिमेदारियो का....उसके और सारे वादों का जो पहले उसने लोगो से किया हैं !!

अब हँसता हुआ गुड्डू शांत हो गया हैं... किसी से कोई शिकायत नहीं..!! घर वालो के पीछे पीछे जा रहा हैं...उसकी आखे शायद कुछ दुआ मांग रही हैं...ममता के  खुश रहने की...और शायद उसी रूप में अपने जीवनसाथी से मिलने की जैसा वो स्कूल में थी..एकदम बिंदास !! ममता  की आँखे पढने की कोशिश की थी... मैंने... लेकिन पढ़ नहीं पाया...बहुत शांत थी!!

घर वालो की आँखे सवाल पूछ रही हैं....ढेर सारे सबाल..ये जो उसने किया ये घर वालो की डिक्सनरी मे नहीं था ..लेकिन वो कुछ नहीं बोलता...उसे नहीं मालुम उसने गलत किया या नहीं !!
उसका छोटा भाई भी नाराज हैं शायद, उसे गुड्डू के वजह से शर्मिंदगी उठानी पड़ी हैं...छोटा भाई जो  उसे कभी हीरो मानता था ...लेकिन शायद अब नहीं !!
मैं सोच  रहा था उसे देख कर..... शायद अपनी सत्यता सिद्ध करने के लिए इसे  हाराकिरी करनी होगी..!!

आज बहुत दिनों के बाद उससे मिला....शायद शादी हो गयी हैं उसकी....मैंने पूछा नहीं...मैं अब उसके चक्कर में नहीं पड़ना चाहता था....हमलोगों ने मिल कर एक-एक  सिगरेट  ली और पीते हुए  अपने रास्ते जाने लगे...!!
वैसे गुड्डू ने जिन्दगी की एक बात तो सिखा ही दी ....सारी चीजे तुम्हारे बस में नहीं होती....तुम भगवान् नहीं हो सकते..!!
मैं सिगरेट के अंतिम कश को लेते हुए सोचने लगा बड़े अजीब अजीब से दोस्त हैं मेरे...!!

3 comments:

  1. आपकी ये रचना कल के चर्चा मंच पे लगाई जा रही मेरे द्वारा , कल जरुर चर्चामंच देख लें ..

    सादर

    कमल

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  2. वह बहुत खूबसूरत रचना..

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  3. सारी चीजे तुम्हारे बस में नहीं होती....तुम भगवान् नहीं हो सकते..!!

    इस पूरी रचना का सार इस एक पंक्ति में प्रदर्शित होता है...
    और जब हम इसे स्वीकार करते हैं तो दुख भी नही होता है...
    इस तरह की वास्तविक रचना के स्रजन के लिए आपको धन्यवाद..!!

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